16-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
सदा निश्चिंत वही रह सकते हैं जिनकी बुद्धि समय पर यथार्थ जजमेंट देती है क्योंकि दिन-प्रतिदिन समस्यायें, सरकमस्टांश और टाइट होने हैं, ऐसे समय पर कर्म और योग का बैलेन्स होगा तो निर्णय शक्ति द्वारा सहज पार कर लेंगे।सदैव यह निश्चय पक्का होगा कि जो हो रहा है उसमें...
12-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जैसे कोई भी कार्य शुरू करते हो तो पहले संगठित रूप में चारों ओर विशेष टाइम पर एक साथ योग का दान दो। सर्व आत्माओं का एक ही शुद्ध संकल्प हो - विजयी। यह है शुद्धि की विधि, इससे सभी विजयी वा निर्विघ्न बन जायेंगे और किला मजबूत हो...
9-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे स्व का दर्शन कर लेते हैं उन्हें सृष्टि चक्र का दर्शन स्वत: हो जाता है। ड्रामा के राज़ को जानने वाले सदा खुशी में रहते हैं, जो स्व को देखते, स्वदर्शन चक्रधारी बनते वह सहज ही आगे बढ़ते रहते हैं।- ओम् शान्ति।...
7-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
विश्वास की नांव सत्यता है। दिल और दिमाग की ऑनेस्टी है तो उसके ऊपर बाप का, परिवार का स्वत: ही दिल से प्यार और विश्वास होता है। विश्वास के कारण फुल अधिकार उसको दे देते हैं। वे स्वत: ही सबके स्नेही बन जाते हैं इसलिए सत्यता की हिम्मत से...
2-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो मन से भरपूर रहता है उसके पास स्थूल वस्तु या साधन नहीं भी हो फिर भी मन भरपूर होने के कारण वे कभी अपने में कमी महसूस नहीं करेंगे। वे सदा यही गीत गाते रहेंगे कि सब कुछ पा लिया, उनमें मांगने के संस्कार अंश मात्र भी नहीं...
29-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
माया के आने के जो भी दरवाजे हैं उन्हें याद और सेवा का डबल लॉक लगाओ। यदि याद में रहते और सेवा करते भी माया आती है तो जरूर याद अथवा सेवा में कोई कमी है। यथार्थ सेवा वह है जिसमें कोई भी स्वार्थ न हो। फिर क्यों, क्या...
26-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:26-10-1991. “तपस्या का प्रत्यक्ष-फल – खुशी”.
आप ब्राह्मण बच्चों को डायरेक्ट अनादि पिता और आदि पिता द्वारा यह अलौकिक जन्म प्राप्त हुआ है। जिसका जन्म ही भाग्यविधाता द्वारा हुआ हो, वह कितना भाग्यवान हुआ। अपने इस श्रेष्ठ भाग्य को सदा स्मृति में रखते हुए हर्षित रहो- तब कहेंगे श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा। - ओम् शान्ति।...
14-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो बच्चे सदा एक बाप दूसरा न कोई - इसी स्मृति में रहते हैं उनका मन-बुद्धि सहज एकाग्र हो जाता है। वह सेवा भी निमित्त बनकर करते हैं इसलिए उसमें उनका लगाव नहीं रहता। इसलिए सब जिम्मेवारियां बाप को अर्पण कर ट्रस्टी वा निमित्त बनकर सम्भालो तो लगावमुक्त बन...
7-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
कोई भी कार्य करते सदा स्मृति रहे कि सर्वशक्तिमान् बाप हमारा साथी है, हम मास्टर सर्वशक्तिमान् हैं तो किसी भी प्रकार का भारीपन नहीं रहेगा। चाहे कितना भी बड़ा सोचने का काम हो, अटेन्शन देने का काम हो लेकिन मास्टर सर्वशक्तिमान के वरदान की स्मृति से अथक रहेंगे।- ओम्...
30-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुग पर बाप द्वारा जो वरदानों का खजाना मिला है उसे जितना बढ़ाना चाहो उतना दूसरों को देते जाओ। जैसे बाप मर्सीफुल है ऐसे बाप समान मर्सीफुल बनो, जब थोड़े समय में सारे विश्व की सेवा सम्पन्न करनी है तो तीव्रगति से सेवा करो। जितना स्वयं को सेवा में...