14-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें पढ़ाई का बहुत कदर रखना है।”
एकाग्रता की शक्ति सहज ही निर्विघ्न बना देती है। इसके लिए मन और बुद्धि को किसी भी अनुभव की सीट पर सेट कर दो। एकागता की शक्ति स्वत: ही “एक बाप दूसरा न कोई'' - यह अनुभूति कराती है। इससे सहज ही एकरस स्थिति बन जाती है। सर्व के...
13-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “अब तुम्हारे सुख के दिन आये कि आये”
इस कल्याणकारी युग में, कल्याणकारी बाप के साथ-साथ आप बच्चे भी कल्याणकारी हो। आपकी चैलेन्ज है कि हम विश्व परिवर्तक हैं। दुनिया वालों को सिर्फ विनाश दिखाई देता इसलिए समझते हैं - यह अकल्याण का समय है लेकिन आपके सामने विनाश के साथ स्थापना भी स्पष्ट है और मन...
“हम ईश्वर के दरबार में कुछ भी जमा कैसे कर सकते?“
"जब तक अपनी प्रैक्टिकल जीवन में कर्म श्रेष्ठ नहीं बने हैं तब तक कितनी भी मेहनत करेंगे तो भी मुक्ति जीवनमुक्ति प्राप्त नहीं करेंगे।" - ओम् शान्ति।...
20-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप समान पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करो”
जो अपने निज़ी लाइट स्वरूप की स्मृति में रहते हैं उनमें व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने की शक्ति होती है। वे व्यर्थ समय, व्यर्थ संग, व्यर्थ वातावरण को सहज परिवर्तन कर डबल लाइट रहते हैं। ऐसे तीव्र पुरूषार्थी बच्चे सहज ही फरिश्ते पन की स्थिति को प्राप्त कर...
27-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम इस बेहद लीला रूपी नाटक को जानते हो”
जिनके पास सन्तुष्टता का खजाना है उनके पास सब कुछ है, जो थोड़े में सन्तुष्ट रहते हैं उन्हें सर्व प्राप्तियों की अनुभूति होती है। और जिसके पास सन्तुष्टता नहीं तो सब कुछ होते भी कुछ नहीं है, इसलिए हद के इच्छा मात्रम् अविद्या .... तब कहेंगे सन्तुष्टमणि। - ओम्...
12-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली: “बाप का फरमान है देही-अभिमानी बनो”
नॉलेजफुल अर्थात् ज्ञानी तू आत्मा बच्चे हर एक के प्रति मास्टर स्नेह के सागर होते हैं। उनके पास स्नेह के बिना और कुछ है ही नहीं। जैसे बाप सभी बच्चों के प्रति रहम और कल्याण की भावना रखते हैं, ऐसे बाप समान क्षमा के सागर और रहमदिल बच्चों में...
“कर्मबन्धन से रहित जीवनमुक्त”
“कर्मबन्धन से रहित जीवनमुक्त” - आगे का संसार सतयुग था जिसको फूलों की दुनिया कहते हैं। अब वो है कर्मबन्धन से रहित जीवनमुक्त देवी देवताओं का राज्य। - ओम् शान्ति।...
20-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
अकालतख्त नशीन आत्मा सदा रूहानी नशे में रहती है। अकालतख्त नशीन सो दिलतख्तनशीन बनो और इसी रूहानी नशे में रहो तो कोई भी विघ्न वा समस्या आपके सामने आ नहीं सकती। प्रकृति और माया भी वार नहीं कर सकती। तो तख्तनशीन बनना अर्थात् सहज प्रकृतिजीत और मायाजीत बनना।- ओम्...
3-4-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.रिवाइज:13/03/90.
स्व परिवर्तन करना ही शुभ चिंतक बनना है। इसलिए स्वयं को कायदे प्रमाण चलाते हुए स्व का परिवर्तन करो, इसी में ही फायदा है। बाहर से कोई फायदा भल दिखाई न दे लेकिन अन्दर से हल्कापन और खुशी की अनुभूति होती रहेगी।- ॐ शान्ति। ...
“दुनिया में अनेक प्रकारों की मत से परमात्मा की श्रेष्ठ मत”
मनुष्य में जब दैवी-गुण हैं तो उन्हें देवता कहते हैं। अब यह मत हमको परमात्मा द्वारा मिल रही है, हम मनुष्य मत या गुरू मत पर नहीं हैं। हम चल रहे हैं परमात्मा की मत पर,सभी आत्माओं से परमात्मा की जरूर श्रेष्ठ मत होगी। - ॐ शान्ति ...