Tag: ईश्वरीय ज्ञान

24-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

कर्मातीत अर्थात् न्यारा और प्यारा। कर्म किया और करने के बाद ऐसा अनुभव हो जैसे कुछ किया ही नहीं, कराने वाले ने करा लिया। ऐसी स्थिति का अनुभव करने से सदा हल्कापन रहेगा।कर्म अपनी तरफ आकर्षित न करे, मालिक होकर कर्मेन्द्रियों से कर्म कराना और संकल्प में भी हल्के-पन...

23-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली [रिवाइज: 29/12/89]

बाप से सच्चा प्यार है तो प्यार की निशानी है - समान, कर्मातीत बनो। ‘करावनहार' होकर कर्म करो, कराओ। कभी भी मन-बुद्धि वा संस्कारों के वश होकर कोई भी कर्म नहीं करो। - ॐ शान्ति। ...

22-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

लौकिक सब इच्छायें छोड़ ईश्वरीय कुल की वृद्धि करने में मददगार बनना है, कोई भी डिससर्विस का काम नहीं करना है। लेन-देन का कनेक्शन एक बाप से रखना है, किसी देहधारी से नहीं। - ो,ॐ शान्ति। ...

21-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

जैसे गुलाब का पुष्प बदबू की खाद से खुशबू धारण कर खुशबूदार गुलाब बन जाता है। ऐसे आप विश्व परिवर्तक श्रेष्ठ आत्मायें अशुभ, व्यर्थ, साधारण भावना और भाव को श्रेष्ठता में, अशुभ भाव आर भावना को शुभ भाव और भावना में परिवर्तन करो, तब ब्रह्मा बाप समान अव्यक्त फरिश्ता...

20-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

जीवन में उड़ती कला वा गिरती कला का आधार दो बातें हैं - भावना और भाव। सर्व के प्रति कल्याण की भावना, स्नेह-सहयोग देने की भावना, हिम्मत-उल्लास बढ़ाने की भावना, आत्मिक स्वरूप की भावना वा अपने पन की भावना ही सद्भावना है, ऐसी भावना वाले ही अव्यक्त स्थिति में...

19-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

परमात्म प्यार में सदा लवलीन, खोये हुए रहो तो चेहरे की झलक और फ़लक, अनुभूति की किरणें इतनी शक्तिशाली होंगी जो कोई भी समस्या समीप आना तो दूर लेकिन आंख उठाकर भी नहीं देख सकती। किसी भी प्रकार की मेहनत अनुभव नहीं होगी। -ॐ शान्ति। ...

18-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली : 18th जनवरी 1969, पिता श्री अव्यक्ती-स्मृति दिवस।

बाप का बच्चों से इतना प्यार है जो अमृतवेले से ही बच्चों की पालना करते हैं। दिन का आरम्भ ही कितना श्रेष्ठ होता है! स्वयं भगवन मिलन मनाने के लिये बुलाते हैं, रुहरिहान करते हैं, शक्तियाँ भरते हैं!तो इस प्यार की पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप ‘सहज योगी जीवन' का...

17-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

जैसे ब्रह्मा बाप ने जो अपने संस्कार बनाये, वह सभी बच्चों को अन्त समय में याद दिलाये - निराकारी, निर्विकारी और निरंहकारी - तो यह ब्रह्मा बाप के संस्कार ही ब्राह्मणों के संस्कार नेचुरल हों। सदा इन्हीं श्रेष्ठ संस्कारों को सामने रखो। इन्हीं संस्कारों को धारण करने से स्व...

16-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

यह परमात्म प्यार ऐसा सुखदाई प्यार है जो इस प्यार में एक सेकण्ड भी खो जाओ तो अनेक दु:ख भूल जायेंगे और सदा के लिए सुख के झूले में झूलने लगेंगे। - ॐ शान्ति। ...