24-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:15-12-1963.
ब्राह्मण जीवन का मजा जीवनमुक्त स्थिति में है। जिन्हें अपने पूज्य स्वरूप की सदा स्मृति रहती है उनकी आंख सिवाए बाप के और कहाँ भी डूब नहीं सकती।वे कभी किसी बंधन में बंध नहीं सकते। सदा जीवन-मुक्त स्थिति का अनुभव करते हैं। - ओम् शान्ति।...
23-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो बच्चे श्रेष्ठ मत प्रमाण हर कर्म करते हुए बेहद के रूहानी नशे में रहते हैं, वह कर्म करते कर्म के बंधन में नहीं आते, न्यारे और प्यारे रहते हैं। कर्मयोगी बनकर कर्म करने से सदा मालिक होकर कर्म कराते हैं इसलिए बन्धनमुक्त स्थिति का अनुभव होता है। ऐसी...
“परमात्मा के बारे में अनेक मनुष्यों की मत का आखरीन फैंसला”
दुनिया जानती है कि परमात्मा एक है, उस ही परमात्मा को कोई शक्ति मानते हैं, कोई कुदरत कहते हैं, मतलब कोई न कोई रूप में जरुर मानते हैं.... - ओम् शान्ति।...
22-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
चाहे सारी बात बुरी हो लेकिन उसमें भी एक दो अच्छाई जरूर होती हैं, इसलिए कहते हैं जो हो रहा है वह अच्छा और जो होना है वह और अच्छा। अच्छाई उठाने की सिर्फ बुद्धि चाहिए। बुराई को न देख अच्छाई उठा लो तो नम्बरवन बन जायेंगे।- ओम् शान्ति।...
21-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
ब्राह्मण बनने से सभी में रंग भी आ गया है और रूप भी परिवर्तन हो गया है लेकिन खुशबू नम्बरवार है। आकर्षण मूर्त बनने के लिए रंग और रूप के साथ सम्पूर्ण पवित्रता की खुशबू चाहिए। पवित्रता अर्थात् तन से भी ब्रह्मचारी, सम्बन्ध में भी ब्रह्मचारी और संस्कारों में...
20-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
कभी भी पुरूषार्थ में निराश नहीं बनो। करना ही है, होना ही है, विजय माला मेरा ही यादगार है, इस स्मृति से विजयी बनो। अभिमान और निराशा - यह दोनों महाबलवान बनने नहीं देते हैं।इसलिए इन दोनों बातों से मुक्त बन निर्मान बनो तो नव निर्माण का कार्य करते...
19-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:06-04-1991.
सिद्धि स्वरूप आत्माओं के हर संकल्प अपने प्रति वा दूसरों के प्रति सिद्ध होने वाले होते हैं। उन्हें हर कर्म में सिद्धि प्राप्त होती है। वे जो बोल बोलते हैं वह सिद्ध हो जाते हैं इसलिए सत वचन कहा जाता है। - ओम् शान्ति।...
18-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
पवित्रता की रॉयल्टी अर्थात् रीयल्टी वाली आत्मायें सदा खुशी में नाचती हैं। उनकी खुशी कभी कम, कभी ज्यादा नहीं होती। दिनप्रतिदिन हर समय और खुशी बढ़ती रहेगी, उनके अन्दर वृत्ति, दृष्टि, बोल और चलन सब सत्य व हर्षितचित, हर्षितमुख अविनाशी होगा। - ओम् शान्ति।...
17-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो अचल स्थिति वाले हैं उनके अन्दर यही शुभ भावना, शुभ कामना उत्पन्न होती है कि यह भी अचल हो जाएं। अचल स्थिति वालों का विशेष गुण होगा - रहमदिल। हर आत्मा के प्रति सदा दाता-पन की भावना होगी। उनका विशेष टाइटल ही है विश्व कल्याणकारी। - ओम् शान्ति।...
16-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
कोई भी कमजोरी तब आती है जब सत के संग से किनारा हो जाता है और दूसरा संग लग जाता है। इसलिए भक्ति में कहते हैं सदा सतसंग में रहो। सतसंग अर्थात् सदा सत बाप के संग में रहना।तो सदा सतसंग में रह कमजोरियों को समाप्त करने वाले सहज...