2-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो मन से भरपूर रहता है उसके पास स्थूल वस्तु या साधन नहीं भी हो फिर भी मन भरपूर होने के कारण वे कभी अपने में कमी महसूस नहीं करेंगे। वे सदा यही गीत गाते रहेंगे कि सब कुछ पा लिया, उनमें मांगने के संस्कार अंश मात्र भी नहीं...
1-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
महान आत्मायें वह हैं जिनमें सत्यता की शक्ति है। लेकिन सत्यता के साथ सभ्यता भी जरूर चाहिए। अगर सभ्यता नहीं तो सत्यता नहीं। सत्यता कभी सिद्ध करने से सिद्ध नहीं होती। उसे तो सिद्ध होने की सिद्धि प्राप्त है। सत्यता के सूर्य को कोई छिपा नहीं सकता।- ओम् शान्ति।...
30-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
कहा जाता है - एक दो हजार पाओ, विनाशी खजाना देने से कम होता है, अविनाशी खजाना देने से बढ़ता है। लेकिन दे वही सकता है जो स्वयं भरपूर है।- ओम् शान्ति।...
29-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
माया के आने के जो भी दरवाजे हैं उन्हें याद और सेवा का डबल लॉक लगाओ। यदि याद में रहते और सेवा करते भी माया आती है तो जरूर याद अथवा सेवा में कोई कमी है। यथार्थ सेवा वह है जिसमें कोई भी स्वार्थ न हो। फिर क्यों, क्या...
“अपना असली लक्ष्य क्या है?”
मनुष्य चाहते हैं हमको सुख शान्ति पवित्रता चाहिए, वो भी जब पूर्ण योग होगा तब ही प्राप्ति होगी ....- ओम् शान्ति।...
28-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
सतगुरू द्वारा जन्मते ही पहला-पहला महामंत्र मिला - “पवित्र बनो-योगी बनो''। यह महामंत्र ही सर्व प्राप्तियों की चाबी है। अगर पवित्रता नहीं, योगी जीवन नहीं तो अधिकारी होते हुए भी अधिकार की अनुभूति नहीं कर सकते। - ओम् शान्ति।...
“आत्मा और परमात्मा में फर्क”
जिस द्वारा वो इच्छा पूर्ण होती है वो अवश्य कोई देने वाला है, तभी तो उनको याद किया जाता है। - ओम् शान्ति।...
27-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुग पर आप श्रेष्ठ भाग्यवान आत्माओं को जो परमात्म श्रीमत मिल रही है - यह श्रीमत ही श्रेष्ठ पालना है। बिना श्रीमत अर्थात् परमात्म पालना के एक कदम भी उठा नहीं सकते। ऐसी पालना सतयुग में भी नहीं मिलेगी। - ओम् शान्ति...
“यह ईश्वरीय सतसंग कॉमन सतसंग नहीं है”
जैसे रोज़ाना स्कूल में मास्टर पढ़ाए डिग्री देता है, वैसे यहाँ भी स्वयं परमात्मा गुरु, पिता, टीचर के रूप में हमको पढ़ाए सर्वोत्तम देवी देवता पद प्राप्त कराते हैं - ओम् शान्ति।...
26-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:26-10-1991. “तपस्या का प्रत्यक्ष-फल – खुशी”.
आप ब्राह्मण बच्चों को डायरेक्ट अनादि पिता और आदि पिता द्वारा यह अलौकिक जन्म प्राप्त हुआ है। जिसका जन्म ही भाग्यविधाता द्वारा हुआ हो, वह कितना भाग्यवान हुआ। अपने इस श्रेष्ठ भाग्य को सदा स्मृति में रखते हुए हर्षित रहो- तब कहेंगे श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा। - ओम् शान्ति।...