Tag: अध्यातम ज्ञान

“निराकारी दुनिया अर्थात् आत्माओं के रहने का स्थान”

जब हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है, परन्तु कोई दुनिया जरूर है, तो जब हम दुनिया अक्षर कहते हैं, तो इससे सिद्ध है वो दुनिया है और वहाँ कोई रहता है तभी तो दुनिया नाम पड़ा है। .......

25-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

सिर्फ वाणी की सेवा ही सेवा नहीं है, शुभ भावना, शुभ कामना रखना भी सेवा है। ब्राह्मणों का आक्यूपेशन ही है ईश्वरीय सेवा। कहाँ भी रहते सेवा करते रहो। अपने खजाने से, शुभ-भावना, शुभ-कामना की अंचली जरूर दो, तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।- ओम् शान्ति।...

24-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

तपस्या की सफलता का विशेष आधार वा सहज साधन है - एक शब्द का पाठ पक्का करो। तपस्या अर्थात् एक का बनना, तपस्या अर्थात् मन-बुद्धि को एकाग्र करना। इस एक के पाठ को स्मृति में रखो तो निरन्तर योगी, सहजयोगी बन जायेंगे। मेहनत से छूट जायेंगे।- ओम् शान्ति।...

23-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

समय की परिस्थितियों के प्रमाण, स्व की उन्नति वा तीव्रगति से सेवा करने तथा बापदादा के स्नेह का रिटर्न देने के लिए वर्तमान समय तपस्या की अति आवश्यकता है। बाप से बच्चों का प्यार है लेकिन बापदादा प्यार के रिटर्न स्वरूप में बच्चों को अपने समान देखना चाहते हैं।...

22-5-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:13-02-1991.

जो बच्चे अष्ट शक्तियों से सम्पन्न हैं वो हर कर्म में समय प्रमाण, परिस्थिति प्रमाण, हर शक्ति को कार्य में लगाते हैं। उन्हें अष्ट शक्तियां इष्ट और अष्ट रत्न बना देती हैं। उनके हर कदम में सफलता समाई रहती है। कोई भी परिस्थिति उन्हें श्रेष्ठ स्थिति से नीचे नहीं...

21-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जो बच्चे नॉलेजफुल, त्रिकालदर्शी हैं वे कभी नाराज़ नहीं हो सकते। इसलिए सदैव यह स्मृति रखो कि भगवान बाप के बच्चे बनकर भी राज़ी नहीं होंगे तो कब होंगे! तो अभी जो खुश भी हैं, राज़ी भी हैं वही बाप के समीप और समान हैं।- ओम् शान्ति।...

20-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

अकालतख्त नशीन आत्मा सदा रूहानी नशे में रहती है। अकालतख्त नशीन सो दिलतख्तनशीन बनो और इसी रूहानी नशे में रहो तो कोई भी विघ्न वा समस्या आपके सामने आ नहीं सकती। प्रकृति और माया भी वार नहीं कर सकती। तो तख्तनशीन बनना अर्थात् सहज प्रकृतिजीत और मायाजीत बनना।- ओम्...

19-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

फरिश्ता अर्थात् पुरानी दुनिया और पुरानी देह से लगाव का रिश्ता नहीं। देह से आत्मा का रिश्ता तो है लेकिन लगाव का संबंध नहीं। फरिश्ता अर्थात् कर्म करते भी कर्म के बन्धन से मुक्त। न देह का बन्धन, न देह के संबंध का बन्धन, न देह के पदार्थो का...

18-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

महावीर वह है जो सदा निर्भय होकर विजयी बनें, छोटी-मोटी बातों में कमजोर न हो। महावीर विजयी आत्मायें हर कदम में तन से, मन से खुश रहते हैं वे कभी उदास नहीं होते, उनके पास दु:ख की लहर स्वप्न में भी नहीं आ सकती।- ओम् शान्ति।...

9-5-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

बापदादा सदा कहते हैं कि रोज़ अमृतवेले तीन बिन्दियों का तिलक लगाओ। आप भी बिन्दी, बाप भी बिन्दी और जो हो गया, जो हो रहा है नथिंगन्यु, तो फुलस्टॉप भी बिन्दी। यह तीन बिन्दी का तिलक लगाना अर्थात् स्मृति में रहना। फिर सारा दिन अचल-अडोल रहेंगे। - ओम् शान्ति।...