27-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

आप होली हसों का स्वरूप है पवित्र और कर्तव्य है सदैव गुणों रूपी मोती चुगना। इस कर्तव्य को पालन करने के लिए सदैव एक आज्ञा याद रहे कि न बुरा सोचना है, न बुरा सुनना है, न बुरा देखना है, न बुरा बोलना है.... जो इस आज्ञा को सदा...

26-11-2021 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli

Be delicate in terms of transforming your own sanskars, but never become delicate when performing actions. Become an embodiment of power in this. Those who wear the armour of a form of Shakti cannot be hit by any arrow of Maya. So, instead of being delicate, let the form...

26-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

सिर्फ स्वयं के संस्कारों को परिवर्तन करने में कोमल बनो, कर्म में कभी कोमल नहीं बनना, इसमें शक्ति रूप बनना है। जो शक्ति रूप का कवच धारण कर लेते हैं उन्हें माया का कोई भी तीर लग नहीं सकता इसलिए आपके चेहरे, नयन-चैन से कोमलता के बजाए शक्ति...

25-11-2021 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli

Have regard for one another. Have a lot of interest in doing service. Fill your aprons with the jewels of knowledge and then donate themThink that you should only listen to the one Father. Don’t allow your intellect to wander in thinking about other things*** Om Shanti...

25-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

सबसे अच्छी बात है कि बाप से बहुत लॅव होना चाहिए। बाप जो फुरना देते हैं उसको धारण करना और दूसरों को दान देना है। जितना दान देंगे उतना इकट्ठा हो जायेगा। सर्विस ही नहीं करेंगे तो धारणा कैसे होगी। सर्विस में बुद्धि चलनी चाहिए। - ॐ शान्ति।...

24-11-2021 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli

Completely faithful children are those who do not have anyone except the Father, the Father’s task, the Father’s praise and the Father’s knowledge in their thoughts and dreams.your first promise is: I will break away from everyone else and connect myself to only the One. To fulfil this promise...

24-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

सम्पूर्ण वफादार उन्हें कहा जाता है जिनके संकल्प वा स्वप्न में भी सिवाए बाप के और बाप के कर्तव्य वा बाप की महिमा के, बाप के ज्ञान के और कुछ भी दिखाई न दे। पहला वायदा है और संग तोड़ एक संग जोड़ - इस वायदे को निभाना अर्थात्...

23-11-2021 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli

The subtle and main order is: Constantly stay in remembrance and become pure in your thoughts, words and deeds. Let there not be any impurity or uncleanliness in your thoughts. If your old, impure sanskars touch your thoughts, you cannot be called perfect Vaishnavs or completely pure. So, do...

23-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

सूक्ष्म और मुख्य फरमान है निरन्तर याद में रहो वा मन-वचन-कर्म से पवित्र बनो। संकल्प में भी अपवित्रता व अशुद्धता न हो। यदि संकल्प में भी पुराने अशुद्ध संस्कार टच करते हैं तो सम्पूर्ण वैष्णव वा सम्पूर्ण पवित्र नहीं कहेंगे इसलिए कोई एक संकल्प भी फरमान के सिवाए न...

22-11-2021 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli

those who have no single thought without an order claim first prize. For instance, Sita was ordered to stay within the line drawn for her. In the same way, while taking every step and having any thought, stay within the line of the Father’s orders and you will always...