“Lots of proof that God is not omnipresent.”
Maya at this time of the iron age that is present everywhere. So, how can God be present everywhere?....– Om Shanti....
“बहुत सारे प्रमाण हैं कि ईश्वर सर्वव्यापी नहीं है।“
परमात्मा को सर्वत्र समझ बैठे हैं जबकि इस समय कलियुग में सर्वत्र माया ही व्यापक है तो फिर परमात्मा व्यापक कैसे ठहरा?...- ओम् शान्ति।...
“No soul can ever be part of the Supreme Soul.”
"Souls are immortal and imperishable, and so the One who creates souls is also definitely immortal. To separate the Supreme Soul into such pieces means to say that the Supreme Soul is perishable..."– Om Shanti....
“आत्मा कभी परमात्मा का अंश नहीं हो सकती है”
"आत्मा ही अज़र अमर है, तो अवश्य आत्मा को पैदा करने वाला अमर ठहरा। ऐसे अमर परमात्मा को टुकडे में ले आना गोया परमात्मा को भी विनाशी कह दिया।".... - ओम् शान्ति।...
“आत्मा और परमात्मा में फर्क।”
"इस सारे जगत् का निर्णय परमात्मा आकर करता है , वही हमें रचता का भी परिचय देते हैं और फिर अपनी रचना का भी परिचय देते हैं।"- ओम् शान्ति।...
“The difference between souls and the Supreme Soul.”
God comes and decides about this world, He alone gives us the introduction of the Creator and He then also introduces His creation to us. – Om Shanti....
In Spiritual Study -“What are the first points that we have to keep in our intellects and pay a lot of attention?”
this Godly knowledge cannot be taught by any human, whether he is a sage, a saint, or a great soul. It can only be taught by the Supreme Soul, Himself.– Om Shanti....
आद्यात्मिक पढ़ाई में :“पहले-पहले कौनसी मुख्य प्वाइन्ट जिस पर खूब अटेन्शन रखना है?”
"यह ईश्वरीय नॉलेज सिवाए एक परमात्मा बिगर कोई भी मनुष्य आत्मा चाहे साधू, संत, महात्मा हो वो भी नहीं पढ़ा सकेगा।“-ओम् शान्ति।...
“How can we deposit anything in the court of God?”
Until you have elevated actions in your practical lives, no matter how much effort you make, you will not be able to receive liberation or liberation-in-life. – Om Shanti....
“हम ईश्वर के दरबार में कुछ भी जमा कैसे कर सकते?“
"जब तक अपनी प्रैक्टिकल जीवन में कर्म श्रेष्ठ नहीं बने हैं तब तक कितनी भी मेहनत करेंगे तो भी मुक्ति जीवनमुक्ति प्राप्त नहीं करेंगे।" - ओम् शान्ति।...