26-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली : “डबल सिरताज – अननोन वारियर्स”.
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“मीठे बच्चे – डबल सिरताज बनने के लिए डबल हिंसा छोड़नी है, अननोन वारियर्स बन माया दुश्मन पर जीत पानी है”
प्रश्नः– छोटा मुख और बड़ी बात… यह कहावत किसके लिए और क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर:- यह कहावत परमात्मा के लिए है। कैसे वह साधारण तन में बैठ इस छोटे मुख से तुम्हें बड़ी-बड़ी बातें सुनाते हैं। गरीब निवाज़ बाप तुम्हें गरीब से साहूकार बना देते हैं। तुम बच्चे भी कहते हो हम जबरदस्त वारियर्स हैं। हम रावण पर जीत पाकर सारे विश्व पर स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं। तो यह भी जैसे छोटा मुख बड़ी बात हुई। मनुष्य इन बातों को सुनकर हंसते हैं, समझ नहीं सकते। तुम्हारी जैसी बातें करना किसको आयेगा भी नहीं।
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“ओम् शान्ति”
बच्चों ने गीत सुना और अर्थ भी समझा, निश्चय भी बैठा कि जिसे पतित-पावन कहा जाता है, वह बाबा अब आया हुआ है। पतित-पावन के साथ गरीब-निवाज़ अक्षर भी आ जाता है। इस समय सारी दुनिया नर्क है। गरीब भी बहुत हैं। सारी सृष्टि ही गरीब है। ऐसा मत समझो रशिया, अमेरिका साहूकार हैं, नहीं। जानते हैं इन्हों के पास जो कुछ थोड़ा है, वह स्वर्ग की भेंट में कुछ भी नहीं है। भल सभी साधन, वैभव इकट्ठा किया जाए तो भी स्वर्ग की भेंट में कुछ नहीं। भल लिखते हैं चाइना इतना मिलियन पाउण्ड सोना खरीद सकते हैं। ऐसे तो अमेरिका भी बहुत साहूकार है।
परन्तु तुम बच्चे जानते हो हमारी जो राजधानी अथवा स्वराज्य स्थापन हो रहा है, उनके आगे तो यह कुछ भी नहीं है। इतना सब होते भी गरीब हैं। स्वर्ग की भेंट में यह सारी विश्व ही गरीब है। इस बाप का नाम ही है गरीब-निवाज। भारत ही स्वर्ग में कितना धनवान था। भेंट की जाती है। अभी तो क्या हालत है। बाप गरीब निवाज़ तुम्हारे सामने बैठे हैं और तुमको स्वर्ग का वर्सा देने आये हैं। तुम जानते हो बाप हमको कितना साहूकार बनाते हैं। हम महाराजा महारानी कितने साहूकार होते हैं। भक्ति मार्ग में कितने आलीशान मन्दिर बनाते हैं। तो बाप का गरीब निवाज़ नाम तो शोभता है ना।
वह है ही नई दुनिया। यह है पुरानी दुनिया। समझते हैं पुरानी दुनिया के मनुष्य क्या हो गये हैं। स्वर्ग तो सुख का भण्डार है। कोई तो इस दु:ख की दुनिया को बदलने वाला है ना। कैसे बदलते हैं। वह भी अभी तुम जानते हो। कोई झगड़ा लड़ाई आदि की बात नहीं। गीता में कृष्ण का नाम दे दिया है। दुनिया को पलटने वाला कृष्ण तो हो नहीं सकता। दुनिया को पलटाने वाले को गॉड कहा जाता है। अभी तुम समझते हो बाप हमें क्या से क्या बना रहे हैं। हम तो कुछ भी नहीं जानते थे।
बरोबर हम विश्व के महाराजा महारानी बनते हैं। नाम ही है गोल्डन एज, सोने की दुनिया। द्वारिका को भी सोने की कहते हैं। द्वारिका माना सारा शहर सोने का। तो जरूर इतना अथाह धन होगा, बच्चों ने साक्षात्कार भी किया है। बाबा कहते हैं जितना तुम आगे जायेंगे उतना घड़ी-घड़ी साक्षात्कार होंगे। अपने देश के नजदीक आते हैं तो दिल में आता है कि अभी हम जाकर पहुँचेंगे। तुम जानते हो यह लड़ाई भी जरूर लगेगी तब तो पुरानी दुनिया का विनाश होगा। जैसे देखो देहली पुरानी थी, अब नई बनाई है। तुम तो जानते हो यह सारी दुनिया कब्रिस्तान है, फिर परिस्तान बनना है। बाबा हमको नई दुनिया का वर्सा दे रहे हैं।
भारत का आज वह दिन आया है – जो गरीब भारत को बाप से स्वर्ग की बादशाही मिलती है। नई देहली तो सारी नहीं कहेंगे। नई दुनिया में नई देहली कहेंगे। गांधी जी कहते थे अथवा अभी भी कहते हैं कि रामराज्य हो। तो समझाना चाहिए जरूर अभी रावण राज्य है। कहते हैं फलाना स्वर्ग पधारा। तो जरूर नर्क में था, तब तो स्वर्ग में गये। स्वर्ग में यह अक्षर नहीं कहेंगे। यहाँ जैसे स्वर्ग को याद करना है वैसे बाप को याद करना है। कोई मरते हैं तो कहते हैं हेविनली अबोड। उस हेविन में कौन सा धर्म निवास करता है?
गॉड फादर ही हेविन स्थापन करते हैं। तुम देखते हो कि बैठे कैसे साधारण रीति हैं। ड्रामा के राज़ को तुम ही जानते हो। जो सीन जिस समय चलती है फिर बाद में रिपीट होती है। फिर 5 हजार वर्ष बाद रिपीट होगी। क्राइस्ट को क्रास पर चढ़ाया, पास्ट हो गया। यह है वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी जो फिर से रिपीट होगी। क्रिश्चियन धर्म नहीं होगा, फिर से क्राइस्ट आकर स्थापन करेगा। यह बातें सिवाए तुम्हारे और कोई की बुद्धि में नहीं हैं। बाप कहते हैं मैं फिर से 5 हजार वर्ष बाद राजयोग सिखलाने आया हूँ। टीचर कहेंगे हम तुमको सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ सुना रहा हूँ। यह नॉलेज सिवाए परमपिता परमात्मा के कोई दे न सके। यह बातें शास्त्रों में नहीं हैं। यह कोई समझते थोड़ेही हैं। क्राइस्ट फिर 3 हजार वर्ष बाद आयेगा। अभी 2 हजार वर्ष हुआ है तो 5 हजार वर्ष का हिसाब हुआ ना। परन्तु किसकी बुद्धि में बैठता नहीं है।
तुम बच्चे जानते हो कि फिर से स्वर्ग स्थापन हो रहा है। कोई लड़ाई आदि नहीं। बाप हिंसा थोड़ेही करायेंगे। तुम बाप द्वारा डबल अहिंसक बन डबल सिरताजधारी बन रहे हो। बाप ने कहा है – काम महाशत्रु है। उनको जीतने से तुम पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे। टाइम तो अब वही है। सरकमस्टांश भी देखते जा रहे हो। यह भारत की लड़ाई भी 5 हजार वर्ष पहले लगी थी। अब फिर किसकी विजय हुई? यादव कौरव खलास हुए फिर रिजल्ट क्या हुई? कुछ दिखलाते नहीं। बाप आये, महाभारत लड़ाई लगी फिर क्या हुआ? दिखाते हैं कि पाण्डव गल मरे पहाड़ों पर। कुत्ता भी साथ में दे दिया है। समझते कुछ भी नहीं। बेहद का कितना बड़ा चक्र है, कितने धर्म हैं। तुम्हारी बुद्धि में नटशेल में सारा राज़ हैं।
पहले-पहले तुम बहुत साहूकार थे। अब तो बहुत गरीब हैं। अभी तो मनुष्य भी बहुत बढ़ गये हैं। आखरीन तो यह समझते हो ना और बोलते भी हैं, सरकमस्टांश ऐसे-ऐसे हैं। तुम यह भी जानते हो हम श्रीमत पर चल श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ राजधानी स्थापन कर रहे हैं – कल्प पहले मुआफिक। वह नशा चढ़ना चाहिए ना। गुप्त अननोन वारियर्स कहते हैं ना। तुम वास्तव में सच्चे अननोन हो, परन्तु वेरी वेल नोन हो। वह कहते हैं – अननोन वारियर्स फिर इतना वेलनोन, जो बड़े आदमी भी जाते हैं फूल चढ़ाने। तुम भी कितने वेल नोन बनते हो। तुम्हारे ऊपर कितने फूल चढ़ायेंगे, कितने मन्दिर बनायेंगे। अभी तुमको कोई नहीं जानते हैं। वह तो बन्दूक-बाज़ी आदि से मारे जाते हैं।
तुम भारत को स्वर्ग बना देते हो, फिर तुम विष्णु माला वा रुद्र माला में पिरो जाते हो। परन्तु यह भी कोई समझते नहीं हैं कि शिव शक्ति पाण्डव सेना ने क्या किया था। अब भी नहीं जानते हैं कि तुम क्या कर रहे हो। तुम कितने जबरदस्त वारियर्स हो। तुम्हारी वार (युद्ध) किसके साथ है? रावण के साथ। तुम किसको कहेंगे हम युद्ध के मैदान में हैं तो सुनकर हँसेंगे। कहते हैं ना – छोटा मुख बड़ी बात करते हैं। हम स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं। तुम्हारे जैसी बातें किसको करने नहीं आयेंगी। बेहद का बाप आकर इस छोटे मुख से कितनी बड़ी बातें करते हैं।
वह कृष्ण के लिए कहते होंगे मुख छोटा बड़ी बात। परन्तु कृष्ण तो है ही छोटा। बच्चे का मुख जरूर छोटा होगा। मुख छोटा बात बड़ी यह परमात्मा के लिए कहते हैं। बाबा गरीब निवाज़ है। सबको कितना साहूकार आकर बनाते हैं। पुराने शरीर में आते हैं। तुम भी गरीब, भारत भी गरीब, उनका ही बाबा गरीब-निवाज़ आकर बनते हैं। तुम कहते हो बाबा नर्क को आकर स्वर्ग बनाते हैं। कितनी बड़ी गुह्य बातें हैं। कहते हैं भारत को स्वर्ग कैसे बनायेंगे? यह कैसे हो सकता है? कॉलेज देखो कैसा है! कौन पढ़ाते हैं! और तुम पद कितना ऊंच पाते हो। बैठे तुम देखो कैसे हो। वन्डर है ना।
कल्प-कल्प ऐसे ही होगा। शुरू से लेकर जो हुआ है, बाप जैसे आया वही रिपीट होगा। इनको बैठ समझाते हैं। तुम अपने जन्मों को नहीं जानते हो, मैं बताता हूँ। निश्चय भी उनको बैठेगा, जिनको कल्प पहले बैठा होगा। माया भी कम नहीं है। निश्चय कर औरों को निश्चय बिठाते फिर भी माया संशय बुद्धि बना देती है। और फिर भी जो कोई संशय बुद्धि होकर गये हैं, उनको फिर निश्चय बुद्धि में ले आते हैं। समझ में आता है कि बरोबर बाप की नॉलेज बड़ी वन्डरफुल है इसलिए कहा जाता है भगवान की गत मत भगवान ही जानें।
गरीब निवाज़ बाप आकर कितना साहूकार बनाते हैं। सारे विश्व को पलटाते हैं। उनको रिज्यूवनेट कर काया कल्पतरू भी करते हैं। तुम्हारी काया कैसी फर्स्टक्लास बन जाती है। तुम समझते हो बरोबर सतयुग में हमारी आयु बड़ी थी। एक शरीर छोड़ दूसरा लेते थे। यहाँ देखो तो क्या हाल हो गया है। मौत से डरते रहते हैं। तुम बच्चों को साक्षात्कार भी कराया है। तुम जंगल में जाते हो, कोई तुम्हारे सामने आते हैं तो उनको साक्षात्कार हो जाता है – यह तो देवी है, झट भाग जाते हैं। बाबा बच्चों की कितनी सम्भाल करते हैं इसलिए तुम्हारा नाम शक्तियां रखा है। तुमसे और सब मनुष्य डरेंगे।
काली से कितना डरते हैं। भयंकर रूप दिखाते हैं। यह भी साक्षात्कार हुआ है। कोई चोर सामने आता है तो काली का रूप देख भाग जाता है। कितनी सम्भाल, रक्षा भी करते हैं। किससे? रावण से। तुमको युक्तियां बतलाते रहते हैं। बाप को याद करते रहेंगे तो माया पास आने का नाम भी नहीं लेगी इसलिए बाप समझाते हैं अपने पास चार्ट जरूर रखो। तुम्हारी भी रेस है। रेस भी जब होती है, तो उन्हों की रेख देख करने वाले भी होते हैं। कहाँ कोई गड़बड़ तो नहीं करते हैं।
तुमको तो श्रीमत पर चलना है, इसलिए बाप कहते हैं मुझे याद करो। माया बहुत विकल्प लायेगी। समझेंगे आगे तो कभी ऐसे ख्याल भी नहीं आये। अभी बुढ़ा हो गया हूँ फिर भी ऐसे संकल्प क्यों आते हैं। स्वप्न भी बहुत आते रहेंगे। माया के तूफानों से डरना नहीं है। काम अग्नि से कभी जलना नहीं है। बाप ने समझाया है इस समय सब काम चिता पर बैठ जल मरे हैं। गन्द करते ही रहते हैं। विलायत में 4-5 बच्चे पैदा करने वाले को इनाम देते हैं। अखबारों में ऐसे बहुत समाचार आते हैं। बाबा तुम्हें सारी दुनिया का समाचार सुनाते हैं – क्या-क्या हो रहा है। रेडियों से भी मालूम पड़ता है कि कहाँ जोर से लड़ाई तो नहीं छिड़ी है!
अब तुम बच्चे जानते हो कि हम बहुत साहूकार बन रहे हैं। स्वर्ग के मालिक बनते हैं। प्रजा भी वहाँ की बहुत साहूकार होती है। उनके लिए भी कोई अप्राप्त वस्तु नहीं रहती, जिसके लिए इन्वेन्शन आदि निकालें। कृष्ण तो बहुत साहूकार है, शिवबाबा के पास कोई पैसा आदि है क्या? कृष्ण तो वैकुण्ठ का मालिक है। तुम जानते हो कि हमारी एम आब्जेक्ट कितनी बड़ी है।
यह लक्ष्मी-नारायण बरोबर महाराजा महारानी थे। अब नहीं हैं। अब फिर बाप ऐसा बना रहे हैं। यह अभी कितने गरीब हैं, कितने साहूकार थे। तुमको इन लक्ष्मी-नारायाण की हिस्ट्री-जॉग्राफी का पता है। ऐसा कोई मनुष्य होगा जिसको अपने 84 जन्मों का पता हो? अभी तुम्हें कितनी ऊंच शिक्षा मिलती है। बताने वाला है ही एक बाप। उनके कितने मन्दिर बनते हैं। तुम कहेंगे हमने राज्य किया था। हमारे कितने मन्दिर बने हुए हैं। सारा दिन इन बातों में रमण करते हर्षित रहना चाहिए।
“अच्छा! मीठे मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।“
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) माया के तूफानों से डरना नहीं है, याद की रेस करनी है। याद का ही चार्ट रखना है। याद ही सेफ्टी का साधन है।
2) श्रीमत पर हम श्रेष्ठ राजधानी स्थापन कर रहे हैं। हम अननोन (गुप्त) लेकिन वेरी वेलनोन (प्रख्यात) वारियर्स हैं। इस रूहानी नशे में रहना है।
वरदान:- “परमात्म प्यार की शक्ति से असम्भव को सम्भव करने वाले पदमापदम भाग्यवान भव”!
पदमापदम भाग्यवान बच्चे सदा परमात्म प्यार में लवलीन रहते हैं। परमात्म प्यार की शक्ति किसी भी परिस्थिति को श्रेष्ठ स्थिति में बदल देती है। असम्भव कार्य भी सम्भव हो जाते हैं। मुश्किल सहज हो जाता है क्योंकि बापदादा का वायदा है कि हर समस्या को पार करने में प्रीति की रीति निभाते रहेंगे। लेकिन कभी-कभी प्रीत करने वाले नहीं बनना। सदा प्रीत निभाने वाले बनना।
स्लोगन:- “अपने श्रेष्ठ कर्म वा श्रेष्ठ चलन द्वारा दुआयें जमा कर लो तो पहाड़ जैसी बात भी रुई के समान अनुभव होगी। “ – ओम् शान्ति।
मधुबन मुरली:- सुनने के लिए वीडियो को सेलेक्ट करे.
अच्छा – ओम् शान्ति।
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किर्प्या अपना अनुभव साँझा करे [ निचे ]।