“अपने को स्वयं परमात्मा बता रहे हैं, कि असुल में सृष्टि कैसे पैदा हुई?”
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :- “अपने को स्वयं परमात्मा बता रहे हैं, कि असुल में सृष्टि कैसे पैदा हुई?”
मनुष्य प्रश्न पूछते हैं कि सृष्टि की आदि कैसे हुई? वो तो इतना ही जानते हैं कि सृष्टि की आदि हमारे धर्म से ही हुई है। इब्राहम वाले, इस्लाम वाले कहेंगे हमारे धर्म से सृष्टि शुरू हुई। क्रिश्चियन फिर अपने समय पर आदि समझते हैं। बौद्धी फिर अपने धर्म से आदि समझते हैं और मुस्लिम कहेंगे हमारे धर्म से आदि हुई है और भारतवासी फिर अपने धर्म से आदि समझते हैं।
फिर दिखलाते हैं सृष्टि के आदि में आदमी कैसे बनाये हैं? शुरू में पहले-पहले हड्डियों से आदमी बनाया गया, फिर ऐसे दिखलाते हैं कि पहले हवा थी फिर उनसे श्वांस बनाया गया, फिर लंस बनाई फिर मनुष्य बना। ऐसे ही पहला आदमी बना, बाद में सारी सृष्टि पैदा हुई। अब यह हैं मनुष्यों की सुनी सुनाई बातें।
परन्तु अपने को तो स्वयं परमात्मा बता रहे हैं कि असुल में सृष्टि कैसे पैदा हुई? वास्तव में परमात्मा तो अनादि है तो यह सृष्टि भी अनादि है, उस अनादि सृष्टि की आदि भी परमात्मा द्वारा ही हुई। देखो, गीता में है भगवानुवाच “जब मैं आता हूँ तो आसुरी दुनिया का विनाश कर दैवी दुनिया की स्थापना करता हूँ अर्थात् कलियुगी तमोगुणी अपवित्र आत्माओं को पवित्र बनाता हूँ।”
तो पहले-पहले परमात्मा ने सृष्टि के आदि में ब्रह्मा, विष्णु, शंकर तीन रूप रचे फिर ब्रह्मा और सरस्वती द्वारा दैवी दुनिया की स्थापना की। तो गोया सृष्टि की आदि ब्रह्मा से शुरू हुई जिस ब्रह्मा को क्रिश्चियन एडम और सरस्वती को इव कहते हैं। और मुस्लिम में फिर डाडा आदम बीबी कहते हैं।
अब वास्तव में यथार्थ बात यह है। परन्तु इस राज़ को न जानने के कारण एक ही ब्रह्मा को अलग-अलग नाम दे दिये हैं। जैसे परमात्मा को कोई गॉड कहते हैं, कोई अल्लाह कहते हैं परन्तु परमात्मा तो एक ठहरा, यह सिर्फ भाषा का फर्क है।
अच्छा – ओम् शान्ति।
SOURSE: 28-6-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.
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