“योग करने के लिये पहले ज्ञान क्यों ?”

What is Rajyoga?. राजयोग क्या है?
What is Rajyoga?. राजयोग क्या है?

मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :-

Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
  1. वास्तव में ज्ञान प्राप्त करना तो एक ही सेकेण्ड का काम है परन्तु अगर मनुष्य एक सेकेण्ड में समझ जाएं तो उनके लिये एक ही सेकेण्ड लगता है सिर्फ अपने स्वधर्म को जान जावें कि “मैं असुल में शान्त स्वरूप आत्मा हूँ और परमात्मा की संतान हूँ।“ अब यह समझना तो एक सेकण्ड की बात है परन्तु इसमें निश्चय करने में कोई हठयोग कोई जप तप कोई भी प्रकार का साधन करना, कोई जरूरत नहीं है बस, सिर्फ ओरीज्नल अपने रूप को पकड़ो।
  2. बाकी हम जो इतना पुरुषार्थ कर रहे हैं वो किसके लिये? अब इस पर समझाया जाता है, हम जो इतना पुरुषार्थ कर रहे हैं वो सिर्फ इतनी बात पर ही कर रहे हैं। जैसे अपनी प्रैक्टिकल जीवन को बनाना है, तो अपने इस बॉडी कान्सेस से पूरा निकलना है। असुल में सोल कॉन्सेस रूप में स्थित होने वा इन दैवी गुणों को धारण करने में मेहनत अवश्य लगती है।
  3. इसमें हम हर समय, हर कदम पर सावधान रहते हैं, अब जितना हम माया से सावधान रहेंगे तो भल कितनी भी घटनायें सामने आयेंगी मगर हमारा सामना नहीं कर सकेगी। माया सामना तब करती है जब हम अपने आपको विस्मृत करते हैं, अब यह जो इतनी मार्जिन है सिर्फ प्रैक्टिकल लाइफ बनाने की। बाकी ज्ञान तो सेकण्ड की बात है।

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Gain 8 powers from Rajyoga Meditation, राजयोग से 8 शक्तियो की प्राप्ति
Gain 8 powers from Rajyoga Meditation, राजयोग से 8 शक्तियो की प्राप्ति
  1. यह अपना ईश्वरीय ज्ञान अपनी बुद्धि से नहीं निकाला हुआ है, न कोई अपनी समझ अथवा कल्पना है अथवा संकल्प है परन्तु यह ज्ञान सारी सृष्टि का जो रचता है उस द्वारा सुना हुआ ज्ञान है। और साथ-साथ सुनकर अनुभव और विवेक में जो लाया जाता है वो प्रैक्टिकल आपको सुना रहे हैं।
  • अगर अपने विवेक की बात होती तो सिर्फ अपने पास चलती परन्तु यह तो परमात्मा द्वारा सुन अपने विवेक से अनुभव से धारण करते हैं। जो बात धारण करते हैं वो जरूर जब विवेक और अनुभव में आती है तब अपनी मानी जाती है।
  • यह बात भी इन द्वारा हम जान चुके हैं। तो परमात्मा की रचना क्या है? परमात्मा क्या है? बाकी कोई अपने संकल्प की बात नहीं है, अगर होती तो अपने मन में उत्पन्न होती इसलिए जो अपने को स्वयं परमात्मा द्वारा मुख्य धारणा योग्य प्वाइन्ट मिली हुई है, वो है मुख्य योग लगाना परन्तु योग के पहले ज्ञान चाहिए।
  • कहते हैं? पहले सोचना, समझना और बाद में योग लगाना.. हमेशा ऐसे कहा जाता है पहले समझ चाहिए, नहीं तो उल्टा कर्म चलेगा इसलिए पहले ज्ञान जरूरी है। ज्ञान एक ऊंची स्टेज है जिसको जानने के लिए बुद्धि चाहिए क्योंकि ऊंचे ते ऊंच परमात्मा हमको पढ़ा रहे हैं।
Types of Yoga? योग के प्रकार?
Types of Yoga? योग के प्रकार?

अच्छा – ओम् शान्ति।

SOURSE: 1-8-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.

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