“भगवान के आने का अनादि रचा हुआ प्रोग्राम”
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मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य –
यह जो मनुष्य गीत गाते हैं ओ गीता के भगवान अपना वचन निभाने आ जाओ। अब वो स्वयं गीता का भगवान अपना कल्प पहले वाला वचन पालन करने के लिये आये हैं और कहते हैं हे बच्चे, जब भारत पर अति धर्म ग्लानि होती है तब मैं इसी समय अपना अन्जाम पालन करने (वायदा निभाने) के लिये अवश्य आता हूँ, अब मेरे आने का यह मतलब नहीं कि मैं कोई युगे युगे आता हूँ। सभी युगों में तो कोई धर्म ग्लानि नहीं होती, धर्म ग्लानि होती ही है कलियुग में, तो मानो परमात्मा कलियुग के समय आता है। और कलियुग फिर कल्प कल्प आता है तो जरूर वह कल्प-कल्प आता है।
कल्प में फिर चार युग हैं, उसको ही कल्प कहते हैं। आधाकल्प सतयुग त्रेता में सतोगुण सतोप्रधान है, वहाँ परमात्मा के आने की कोई जरुरत नहीं।
और द्वापर युग से तो फिर दूसरे धर्मों की शुरुआत है, उस समय भी अति धर्म ग्लानि नहीं है, इससे सिद्ध है कि परमात्मा तीनों युगों में तो आता ही नहीं है,
बाकी रहा कलियुग, उसके अन्त में अति धर्म ग्लानि होती है। उसी समय परमात्मा आए अधर्म विनाश कर सत् धर्म की स्थापना करते हैं।
अगर द्वापर में आया हुआ होता तो फिर द्वापर के बाद सतयुग होना चाहिए फिर कलियुग क्यों? ऐसे तो नहीं कहेंगे परमात्मा ने घोर कलियुग की स्थापना की, अब यह तो बात नहीं हो सकती
“इसलिए परमात्मा कहते हैं मैं एक हूँ और एक ही बार आए अधर्म का विनाश कर कलियुग का विनाश कर सतयुग की स्थापना करता हूँ तो मेरे आने का समय संगमयुग है।“
SOURSE: 9-4-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.]
अच्छा – ओम् शान्ति।