“परमात्मा को त्रिमूर्ति क्यों कहते हैं?”
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-: मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :-
1) परमात्मा को त्रिमूर्ति क्यों कहते हैं?
परमात्मा को त्रिमूर्ति क्यों कहते हैं? उन्होंने कौनसे तीन रूप रचे? अवश्य उन्होंने तीन रूप ब्रह्मा विष्णु शंकर के रचे हैं, वह जब खुद आते हैं तो तीनों रूपों को अपने साथ लाते हैं। ऐसे नहीं कहेंगे कि उन्होंने यह तीन रूप अलग-अलग रचे हैं, इकट्ठा ही रचे हैं, आगे पीछे नहीं रचे।
तो परमात्मा ही कहते हैं कि “यह रचना मेरी है क्योंकि मैं साकारी, आकारी और निराकारी तीनों सृष्टि का मालिक हूँ। मैं साकारी लक्ष्मी-नारायण देवता रूप में नहीं हूँ, वे तो साकारी दैवी गुणों वाले मनुष्य हैं, और मैं अव्यक्त देवता ब्रह्मा, विष्णु, शंकर भी नहीं हूँ। भल यह आकारी देवता पुनर्जन्म में नहीं आते हैं, मगर मैं वो भी नहीं हूँ, यह सारी मेरी डिपार्टमेन्ट है, जब मैं खुद आता हूँ तो सारी डिपार्टमेन्ट साथ में लाता हूँ और उन्हों द्वारा ही दैवी सृष्टि की स्थापना, आसुरी दुनिया का विनाश तथा नई सृष्टि की पालना कराने के लिये आता हूँ।“
मैं तो डायरेक्ट ऊपर से पवित्र आत्मा आता हूँ और मैं जिस मनुष्य तन में आता हूँ, वह भी बहुत जन्मों के अन्त के तमोगुण वाले हैं, उस तन में प्रवेश होकर उनको भी पवित्र बनाता हूँ। जिसका भविष्य जन्म सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण श्रीकृष्ण है क्योंकि परमात्मा तो सर्वगुणों का सागर, विकर्माजीत है, उनसे सेकेण्ड नम्बर श्रीकृष्ण बनता है, जिसके फिर अन्त का जन्म ब्रह्मा तन है। परमात्मा के मुआफिक पवित्र आत्मायें कोई भी नहीं हैं, उन्हों को पवित्र बनाना पड़ता है इसलिए परमात्मा को ही सुप्रीम सोल कहते हैं।
2) “बिगड़ी हुई तकदीर बनाने वाला परमात्मा है”
अब यह तो सब मनुष्य जानते हैं कि तकदीर बनाने वाला वो एक ही परमात्मा है। परमात्मा को कहा जाता है तकदीर का मालिक, वो आकर हम आत्माओं की तकदीर बनाते हैं, जो बिगड़ी हुई तकदीर है उन्हों को नया बनाने वाला परमात्मा है। बाकी यह जो मनुष्य कहते हैं तकदीर बनाना वा बिगाड़ना परमात्मा के हाथ में है, अब यह कहना सरासर भूल है।
तकदीर बनाना परमात्मा के हाथ में है परन्तु जब मनुष्य उस तकदीर बनाने वाले को भूलते हैं, तब उसकी तकदीर बिगड़ जाती है गोया तकदीर को बिगाड़ना मनुष्यों के हाथ में है। जब मनुष्य अपने आपको भूलते हैं, अपने बाप को भूलते हैं तब ही मनुष्यों से उल्टा कार्य होने कारण वो अपनी तकदीर को लकीर लगाते हैं। तो बिगाड़ने वाला हुआ मनुष्य और बनाने वाला हुआ परमात्मा इसलिए परमात्मा को सुख दाता कहते हैं, न कि दु:ख दाता कहेंगे।
देखो, जब परमात्मा स्वयं ही इस सृष्टि पर अवतरित होते हैं तो सभी मनुष्यों की बिगड़ी हुई तकदीर बनाते हैं अर्थात् सबको सद्गति दे देते हैं तभी तो परमात्मा को सभी मनुष्य आत्माओं का उद्धार करने वाला कहते हैं।
परमात्मा कहते हैं बच्चे, मैं इस संगम पर आए सबकी तकदीर बनाता हूँ, ऐसा नहीं कोई की तकदीर बने और कोई की न बनें परन्तु परमात्मा तो सबकी तकदीर बनाते हैं क्योंकि सभी मनुष्यों का सारी सृष्टि से सम्बन्ध है तभी तो परमात्मा के लिये कहते हैं तकदीर बनाने वाला जरा सामने तो आओ… तो यही सबूत है कि परमात्मा तकदीर बनाने वाला है।
अच्छा – ओम् शान्ति।
[SOURSE: 4-4-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.]