“निराकारी दुनिया अर्थात् आत्माओं के रहने का स्थान”
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य –
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जब हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है, परन्तु कोई दुनिया जरूर है, उसका स्थूल सृष्टि मुआफिक आकार नहीं है, जैसे परमात्मा निराकार है लेकिन उनका अपना सूक्ष्म रूप अवश्य है। हम आत्मा और परमात्मा का धाम निराकारी दुनिया है। तो जब हम दुनिया अक्षर कहते हैं, तो इससे सिद्ध है वो दुनिया है और वहाँ कोई रहता है तभी तो दुनिया नाम पड़ा है।
अब दुनियावी लोग तो समझते हैं परमात्मा का रूप भी अखण्ड ज्योति तत्व है, लेकिन वह तो परमात्मा के रहने का ठिकाना है, जिसको रिटायर्ड होम कहते हैं। तो हम परमात्मा के घर को परमात्मा नहीं कह सकते हैं।
अब दूसरी है आकारी दुनिया, जहाँ ब्रह्मा विष्णु शंकर देवतायें आकारी रूप में रहते हैं और यह है साकारी दुनिया, जिनके दो भाग हैं – एक है निर्विकारी स्वर्ग की दुनिया जहाँ आधाकल्प सदा पवित्रता सुख और शान्ति है।
दूसरी है विकारी कलियुगी दु:ख और अशान्ति की दुनिया। अब यह दो दुनियायें क्यों कहते हैं? क्योंकि यह जो मनुष्य कहते हैं स्वर्ग और नर्क दोनों परमात्मा की रची हुई दुनिया है,
इस पर परमात्मा के महावाक्य हैं बच्चे, मैंने कोई दु:ख की दुनिया नहीं रची, जो मैंने दुनिया रची है वो सुख की रची है। अब यह जो दु:ख और अशान्ति की दुनिया है, वो मनुष्य आत्मायें अपने आपको और मुझ परमात्मा को भूलने के कारण यह हिसाब-किताब भोग रहे हैं। बाकी ऐसे नहीं जिस समय सुख और पुण्य की दुनिया है, वहाँ कोई सृष्टि नहीं चलती।
हाँ, अवश्य जब हम कहते हैं कि वहाँ देवताओं का निवास स्थान था, तो जरूर वहाँ प्रवृत्ति चलती थी परन्तु विकारी पैदाइस नहीं थी, जिस कारण कोई कर्म-बन्धन नहीं था। उस दुनिया को कर्मबन्धन रहित स्वर्ग की दुनिया कहते हैं। तो एक है निराकारी दुनिया, दूसरी है आकारी दुनिया, तीसरी है साकारी दुनिया।
SOURSE: 9-4-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.]
अच्छा – ओम् शान्ति।