“कैसे मानें कल्प 5 हजार वर्ष का है?”

मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-

Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
  1. हम कहते हैं कल्प 5 हजार वर्ष का है और यह कल्प, हर कल्प हूबहू रिपीट होता है, इस पर बहुत मनुष्यों का प्रश्न है कल्प इतना बड़ा है वह फिर 5 हजार वर्ष का कैसे हो सकता है? कल्प तो लाखों वर्ष का होता है, जब ऐसी चीज़ निकली हुई है जिससे मालूम पड़ता है कि यह कोई लाखों वर्ष की है। फिर मनुष्य कैसे मानेंगे कि कल्प 5 हजार वर्ष का है?
  2. अगर कोई कहे कि हिस्ट्री लाखों वर्ष की बनी हुई है तो उन्हें समझाओ कि लाखों वर्ष की हिस्ट्रियां कैसे रह सकती हैं? यह जो कल्प के अन्दर इतनी उथल पाथल होती है, इतना विनाश होता है जिसमें सारी बादशाही का ही विनाश हो जाता है, तो तुम्हारी वो हिस्ट्री साबित कैसे रहेगी? फिर एक्यूरेट हिस्ट्री का कैसे पता पडेगा, तो यह बात सिद्ध नहीं होती।
  3. अब अपने को तो स्वयं वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी परमात्मा एक्यूरेट सुनाता है और साथ साथ हमें दिव्य दृष्टि द्वारा साक्षात्कार भी कराता है, तो क्या हम उस पर विश्वास नहीं करेंगे? अवश्य भल कोई साक्षात्कार पर निश्चय न भी करे परन्तु स्वयं परमात्मा हमें सन्मुख सुना रहे हैं। पहले तो हमको यह निश्चय है कि हमें पढ़ाने वाला कौन और फिर सारी सृष्टि कैसे हूबहू चक्र लगाती है, इस राज़ को भी हम समझ चुके हैं तब ही हम अपने अनुभव और प्रैक्टिकल जीवन को देख यथार्थ कह रहे हैं कि कल्प 5 हजार वर्ष का है।
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel

B) आत्मा और परमात्मा का अन्तर (भेद) इस पर समझाया जाता है कि आत्मा और परमात्मा का रूप एक जैसा ज्योति रूप है। आत्मा और परमात्मा की आत्मा का साइज एक ही रीति में है, बाकी आत्मा और परमात्मा में सिर्फ गुणों की ताकत का फर्क अवश्य है। अब यह जो इतने गुण हैं वो सारी महिमा परमात्मा की है।

परमात्मा दु:ख सुख से न्यारा है, सर्वशक्तिवान है, सर्वगुण सम्पन्न है, 16 कला सम्पूर्ण है, उनकी ही सारी शक्ति काम कर रही है। बाकी मनुष्य आत्मा की कोई शक्ति नहीं चल सकती है। परमात्मा का ही सारा पार्ट चलता है, भल परमात्मा पार्ट में भी आता है, तो भी खुद न्यारा रहता है। लेकिन आत्मा पार्ट में आते भी पार्टधारी के रूप में आ जाती है, परमात्मा पार्ट में आते भी कर्मबन्धन से न्यारा है। आत्मा पार्ट में आते कर्मबन्धन के वश हो जाती है, यह है आत्मा और परमात्मा में अन्तर।

अच्छा – ओम् शान्ति।

SOURSE: 20-7-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.

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