“किस्मत बनाने वाला परमात्मा, किस्मत बिगाड़ने वाला खुद मनुष्य है”
-: मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :–
अब यह तो हम जानते हैं कि मनुष्य आत्मा की किस्मत बनाने वाला कौन है? और किस्मत बिगाड़ने वाला कौन है? हम ऐसे नहीं कहेंगे कि किस्मत बनाने वाला, बिगाड़ने वाला वही परमात्मा है। बाकी यह जरूर है कि किस्मत को बनाने वाला परमात्मा है और किस्मत को बिगाड़ने वाला खुद मनुष्य है।
अब यह किस्मत बने कैसे? और फिर गिरे कैसे? इस पर समझाया जाता है। मनुष्य जब अपने को जानते हैं और पवित्र बनते हैं तो फिर से वो बिगड़ी हुई तकदीर को बना लेते हैं। अब जब हम बिगड़ी हुई तकदीर कहते हैं तो इससे साबित है कोई समय अपनी तकदीर बनी हुई थी, जो फिर बिगड़ गई है।
अब वही फिर बिगड़ी तकदीर को परमात्मा खुद आकर बनाते हैं। अब कोई कहे परमात्मा खुद तो निराकार है वो तकदीर को कैसे बनायेगा? इस पर समझाया जाता है, निराकार परमात्मा कैसे अपने साकार ब्रह्मा तन द्वारा, अविनाशी नॉलेज द्वारा हमारी बिगड़ी हुई तकदीर को बनाते हैं। अब यह नॉलेज देना परमात्मा का काम है, बाकी मनुष्य आत्मायें एक दो की तकदीर को नहीं जगा सकती हैं।“तकदीर को जगाने वाला एक ही परमात्मा है तभी तो उन्हों का यादगार मन्दिर कायम है।“
अच्छा। ओम् शान्ति।
[SOURSE: 24-1-2021 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.]
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