“ओम्” शब्द का यथार्थ अर्थ
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मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य –
जब हम ओम् शान्ति शब्द कहते हैं तो पहले पहले ओम् शब्द के अर्थ को पूर्ण रीति से समझना है। अगर कोई से पूछा जाए ओम् का अर्थ क्या है? तो वो लोग ओम् का अर्थ बहुत ही लम्बा चौड़ा सुनाते हैं। ओम् का अर्थ ओंकार बड़े आवाज़ से सुनाते हैं, इस ओम् पर फिर लम्बा चौड़ा शास्त्र बना देते हैं, परन्तु वास्तव में ओम् का अर्थ कोई लम्बा चौड़ा नहीं है।
अपने को तो स्वयं परमात्मा ओम् का अर्थ बहुत ही सरल और सहज समझाते हैं। ओम् का अर्थ है मैं आत्मा हूँ, मेरा असली धर्म शान्त स्वरूप है। अब इस ओम् के अर्थ में उपस्थित रहना है, तो ओम् का अर्थ मैं आत्मा परमात्मा की संतान हूँ। मुख्य बात यह हुई कि ओम् के अर्थ में सिर्फ टिकना है, बाकी मुख से ओम् का उच्चारण करने की जरूरत नहीं है। यह तो बुद्धि में निश्चय रखकर चलना है। ओम् का जो अर्थ है उस स्वरूप में स्थित रहना है। बाकी वह लोग भल ओम् का अर्थ सुनाते हैं मगर उस स्वरूप में स्थित नहीं रहते।
हम तो ओम् का स्वरूप जानते हैं, तब ही उस स्वरूप में स्थित होते हैं। हम यह भी जानते हैं कि परमात्मा बीजरुप है और उस बीजरूप परमात्मा ने इस सारे झाड़ को कैसे रचा हुआ है, उसकी सारी नॉलेज हमें अभी मिल रही है।
अच्छा – ओम् शान्ति।