“आत्मा और परमात्मा में फर्क”
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य –
कई मनुष्य प्रश्न पूछते हैं कि क्या सबूत है कि हम आत्मा हैं! अब इस पर समझाया जाता है, जब हम कहते हैं अहम् आत्मा उस परमात्मा की संतान हैं, अब यह है अपने आपसे पूछने की बात। हम जो सारा दिन मैं मैं कहता रहता हूँ, वो कौनसी पॉवर है और फिर जिसको हम याद करते हैं वो हमारा कौन है? जब कोई को याद किया जाता है तो जरुर हम आत्माओं को उन्हों द्वारा कुछ चाहिए, हर समय उनकी याद रहने से ही हमको उस द्वारा प्राप्ति होगी। देखो, मनुष्य जो कुछ करता है जरुर मन में कोई न कोई शुभ इच्छा अवश्य रहती है, कोई को सुख की, कोई को शान्ति की इच्छा है तो जरुर जब इच्छा उत्पन्न होती है तो अवश्य कोई लेने वाला है और जिस द्वारा वो इच्छा पूर्ण होती है वो अवश्य कोई देने वाला है, तभी तो उनको याद किया जाता है।
अब इस राज़ को पूर्ण रीति से समझना है, वह कौन है? यह बोलने वाली शक्ति मैं स्वयं आत्मा हूँ, जिसका आकार ज्योति बिन्दू मिसल है, जब मनुष्य स्थूल शरीर छोड़ता है तो वो निकल जाती है। भल इन ऑखों से नहीं दिखाई पड़ती है, अब इससे सिद्ध है कि उसका स्थूल आकार नहीं है परन्तु मनुष्य महसूस अवश्य करते हैं कि आत्मा निकल गई। तो हम उसको आत्मा ही कहेंगे जो आत्मा ज्योति स्वरूप है, तो अवश्य उस आत्मा को पैदा करने वाला परमात्मा भी उसके ही रूप मुआफिक होगा, जो जैसा होगा उनकी पैदाइस भी वैसी होगी।
फिर हम आत्मायें उस परमात्मा को क्यों कहते हैं कि वो हम सर्व आत्माओं से परम हैं? क्योंकि उनके ऊपर कोई भी माया का लेप-छेप नहीं है। बाकी हम आत्माओं के ऊपर माया का लेप-छेप अवश्य लगता है क्योंकि हम जन्म मरण के चक्र में आती हैं। अब यह है आत्मा और परमात्मा में फर्क।
अच्छा – ओम् शान्ति।
SOURSE: 29-4-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.